हमारे आदर्श

हमारे आदर्श सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना के जननायक

हमारे देश की मिट्टी में कुछ अनूठा है तभी तो कठिन बाधाओं के बावजूद हमेंशा महान आत्माओ का निवास स्थान रहा है ।

सरदार वल्लभ भाई पटेल(1875-1950)

किसी भी समय जीवन मुश्किल बन सकता है और किसी भी समय जीवन बहुत आसान बन सकता है। यह सब हमारे जीवन के समायोजन पर निर्भर करता है ।

मोरारजी देसाई(1896-1995)

समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा ।

डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर(1891-1956)

हम सब यही सोचते है की हमारे किये गये कार्य तो समुद्र में एक बूंद के बराबर होते है लेकिन ध्यान रखने वाली ये भी बात है की उस बूंद के बिना सागर का पानी तो कम ही होगा ।

मदर टेरेसा(1910-1997)

सजीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखो को कठिनाईओ से प्राप्त किया जाता है।

अब्दुल कलाम(1931-2015)

किसी भी कार्य को करने के लिए तुरन्त उठो, जागो और तब तक नही रुकना जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए ।

स्वामी विवेकानन्द(1863-1902)

जब फूल खिलता है तो मधुमक्खी बिना बुलाये आ जाती है और हम जब प्रसिद्द होंगे तो लोग बिना बताये हमारा गुणगान करने लगेगे ।

राम कृष्ण परमहंस(1836-1886)

हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे ।

रविन्द्र नाथ टैगोर(1861-1941)

हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक  हो फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता हैए पर उसका आना अनिवार्य है।

सुभाष चन्द्र बोस(1897-1945)

(आर्य समाज) दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिये और आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा।

स्वामी दयानन्द सरस्वती(1824-1883)

आप हर दिन दूसरों को अपने रिकाॅर्ड तोडने की प्रतीक्षा मत करो बल्कि खुद उसे तोडने का प्रयत्न करो, क्योंकि सफलता के लिए आपकी खुद से लडाई है ।

चन्द्रषेखर आजाद(1906-1931)

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लडी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई(1828-1858)

विद्या बिन मति गयी, मति बिना नीति गयी, नीति बिना गति गयी, गति बिना वित गया।

महात्मा ज्योतिबा फुले(1827-1890)

जाओ जाकर पढ़ो-लिखो  बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती  काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो ज्ञान के बिना सब खो जाता है ।

सावित्रीबाई फुले(1831-1897)

जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनोती देनी होगी ।

भगत सिंह(1907-1931)

हमें स्वच्छता और सफाई का मूल्य पता होना चाहिए... गंदगी को हमें अपने बीच से हटाना होगा... क्या स्वच्छता स्वयं ईनाम नहीं है ।

महात्मा गांधी(1861-1948)
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