हमारे आदर्श संघ एवं भाजपा के शिखर पुरुष
देश एक मंदिर है, हम पुजारी हैं । राष्ट्रदेव की पूजा में हमें अपने को समर्पित कर देना चाहिए ।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी(1924-2018)
कुछ बनने के लिए सपने मत देखो बल्कि कुछ ऐसा करके दिखाना है ऐसा सपना देखना चाहिए ।
श्री नरेन्द्र मोदी(1950)
धर्म जागरण एवं कर्मनिष्ठा का सबसे बडा स्त्रोत श्रीमद्भगवतगीता ग्रन्थ है। मैं अपने जीवनकाल के सत्कर्मों की प्रेरणा स्त्रोत इसे ही मानता हूँ।
श्री अशोक सिंघल(1926-2015)
मातृभूमि! तेरे चरणों में पहले ही मैं अपना मन अर्पित कर चुका हूँ। देश-सेवा ही ईश्वर-सेवा है, यह मानकर मैंने तेरी सेवा के माध्यम से भगवान की सेवा की ।
वीर सावरकर(1883-1966)
एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे मेरे पुत्र की मृत्यु भारत माता के पुत्र की मृत्यु है अपने पुत्र की असामयिक मृत्यु का समाचार सुनने के पश्चात डॉ मुखर्जी की माता योगमाया देबी ने कहा था ।
डाॅ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी(1901-1953)
आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के उपर की सीढी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा ।
श्री पं0 दीन दयाल उपाध्याय(1916-1968)
भारत - भूमि इतनी पावन है कि अखिल विश्व में दिखाई देनेवाला सत तत्व यहीं अनुभूत किया जाता है अन्यत्र नहीं ।
श्री माधव सदाषिव गोलवलकर(1906-1963)
इस समाज को जागृत एवं सुसंघटित करना ही राष्ट्र का जागरण एवं संघटन हैण् यही राष्ट्र कार्य है ।