हमारे आदर्श भारतीय धर्म के महान प्रणेता
संत दूसरों को दुःख से बचाने के लिए कष्ट सहते हैं. दुष्ट लोग दूसरों को दुःख में डालने के लिए हैं।
भगवान श्री राम
अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है जो सबके कल्याण की कामना करता है ।
भगवान महावीर(599-526BC)
हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाए ।
भगवान बुद्ध(563-483BC)
मैं सभी प्राणियों को सामान रूप से देखता हूँ ना कोई मुझे कम प्रिय है ना अधिक। लेकिन जो मेरी प्रेमपूर्वक आराधना करते हैं वो मेरे भीतर रहते हैं और मैं उनके जीवन में आता हूँ ।
भगवान श्री कृष्ण
परमात्मा एक है और उसके लिए सब एक समान है।
गुरू नानक(1469-1539)
सफलता का मापदंड विजय. पराजय अथवा धन. दौलत नहीं, बल्कि वे कर्त्तव्य हैं, जिनका किसी ने आपत्ति तथा हानि की स्थिति में भी निष्ठापूर्वक पालन किया है ।