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महाकुंभ का महाआयोजन: महत्व एवं प्रासंगिकता

महाकुंभ हमारी संस्कृति एवं राष्ट्रीयता का प्रतीक है. जहाँ पर सभी धर्मं, पथ एवं संप्रदाय के लोग सम्मलित होते है. शैव, वैष्णव, शाक्त, अघोर पंथी, उदासी, सिक्ख, जैन और बौद्ध आदि संप्रदायों के लोग कुम्भ में उपस्थित होकर भारत को एक सूत्र में बांधते है. भारतीय संस्कृति एवं परंपरा का उत्तम उदाहरण विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या है. विदेशी श्रद्धालु अपने धार्मिक एवं राजनीतिक विचार छोड़कर भारतीय संस्कृति में खो जाते है. इसीलिए कुम्भ हमारे राष्ट्र निर्माण और समाज ब्यवस्था का नित्य नूतन बनाये रखने में एक अहम भूमिका निभाता है. प्राचीन कथा के अनुसार, देवासुर संग्राम के समय समुद्र मंथन से जब अमृत कलश निकला जिसके बितरण को लेकर देवताओ और राक्षसों में संघर्ष हुआ. उस संघर्ष काल में अमृत कलश जहाँ-जहाँ रखा गया वहां पर अमृत के बूंदे गिरी, वहां-वहां कुम्भ लगने लगा. जो मुहूर्त उस समय उपस्थित था. उस मुहूर्त के आने पर चारों स्थानों पर दक्षिण में नासिक, उज्जैन, प्रयागराज (इलाहाबाद), एवं हरिद्वार में महाकुंभ पर्व का आयोजन होने लगा. कुंभ पर्वों को मानने का तात्पर्य सामाजिक एकता से जुड़ा है. हमारे समाज को अपनी संस्कृति के साथ-साथ अपने देश की भौगोलिकता, सामाजिकता, ऐतिहासिकता और उनके समन्वय का बोध हो और आपस में सभी लोग अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकें. इस महात्म्य से हमारे पूर्वाचार्यों ने पुरे देश की संस्कृति को एक सूत्र में बांधने में सफल रहे है. चाहे दक्षिण का हो, चाहे उत्तर का हो, चाहे पूर्व का हो, चाहे पश्चिम का हो सभी सरकारों ने अपने पाने कार्यकाल में इन कुम्भों की बुनियादी व्यवस्था उपलब्ध करके समाज की सेवा करती आई. यही कारण है कि उत्तर प्रदेश की सरकार अपने प्रथम दिन से ही कुंभ के महाआयोजन के लिए, प्रयागराज जनपद में सभी सडकों के निर्माण, मरम्मत एवं चौडीकरण, नए फ्लाईओवर का निर्माण और नदियों-नालों एवं तालाबों पर पुलों का निर्माण, इन सभी मुददों को बहुत ही गंभीरता से लिया जा रहा है । जिससे कुंभ आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार दिक्कतें का सामना न करना पड़े. वैसे भी प्रयागराज जनपद उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के क्षेत्र में आता है. जिनका लक्ष्य इलाहाबाद को स्मार्ट सिटी बनाना है. इसी जरूरत को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 2500 करोड़ रूपये धनराशि अगले साल जनवरी 2019 में महाकुंभ के आयोजन के लिए आवंटित किया है जो 2013 कुंभ की अपेक्षा दो गुना अधिक है । केशव प्रसाद मौर्य जी का यह भी मानना है कि “वास्तव में कुंभ समाज में समरसता को बढाने में अहम भूमिका अदा करता है, जिसका उदहारण पूरी दुनिया में शायद कहीं मिले”. कुंभ भारतीय समाज का आधार है जहाँ एक तरफ सभी मत, पंथ और संप्रदाय के लोग अपनी रीति-रिवाज और समाज के उत्थान के लिए बिना किसी भेद-भाव के इकठ्ठा होते है, और सब विषयो पर विचार करते हैं, वहीं सभी जाति, भाषा और क्षेत्र से ऊपर उठकर दर्शन और संगम स्नान हेतु आते है वे किसी से न तो अपनी जाती बताते हैं न ही दुसरे से पूछते हैं यह दुनिया का अनूठा उदहारण है जो लाखों वर्षों से समाज के चिंतन के आधार पर चला आ रहा है, आज जिन प्रमुख स्थानों पर कुम्भ लगता है वे स्थान गंगा जी के किनारे हिमालय के मैदान में हरिद्वार, गंगा -यमुना और सरस्वती जी का संगम स्थान प्रयाग, क्षिप्रा नदी के किनारे उज्जैन और गोदावरी तट पर नासिक है. कुछ प्रमाणों का कहना है कि भारत में २7 नक्षत्र, 6 ऋतुएं, १२ राशियाँ इनके मिलन बिंदु को लेकर १२ स्थानों पर कुम्भ लगते थे जिसमे एक स्थान मक्का भी था. प्राचीन काल में यह कुम्भ दान का भी महान पर्व है. जिसका सबसे उत्तम उदाहरण चक्रवर्ती सम्राट हर्ष वर्धन है जिन्होंने इस कुम्भ को विस्तार देते हुए प्रत्येक वर्ष सब -कुछ दानकर वापस घर जाते थे. कुंभ मेले की महत्ता को इस बात से भी जानी जा सकती है कि 7 दिसंबर 2017 कुंभ मेले को यूनेस्को ने अपनी मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया । कुंभ को यूनेस्को द्वारा इनटैन्जिबिल कल्चर लहेरिटेज लिस्ट में शामिल करने का प्रमुख कारण यह था कि कुम्भ मेला विश्व का ऐसा सबसे बड़ा आयोजन है, जहां बहुत बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होकर शान्तिपूर्ण ढंग से धार्मिक परम्पराओं का पालन करते हैं। यूनेस्को ने कुम्भ मेले को सांस्कृतिक अनेकता का प्रतीक माना है, जिसमें लोग आपस में ज्ञान तथा कौशल का आदान-प्रदान पाण्डुलिपियों तथा श्रुतियों के माध्यम से करते हैं। उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बताया कि 200 से अधिक प्रोजेक्ट तीव्र गति से अगले साल जनवरी 2019 में महाकुंभ के आयोजन के लिए स्वीकृत कर दिया गया हैं. जिसमें प्रदेश सरकार ने 16 सरकारी विभागों के लिए 199 परियोजनाओं के लिए पहले से ही 1,648 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी है, जो चार चरणों में चल रहा है ।

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