प्रारंभिक जीवन: बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बचपन
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केशव प्रसाद मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को कौशाम्बी जनपद के सिराथू गांव में हुआ। 1970 का दशक भारतीय राजनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें तीन बहुत बड़ी राजनीतिक घटनायें घटित हुई, जिसने भारतीय राजनीति की दशा एवं दिशा को बदल दिया- प्रथम: 14 निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण; द्वितीय: प्रिवीपर्स को समाप्त करना; तृतीय: विश्व के मानचित्र में एक नये देश बांग्लादेश का उदय होना प्रमुख था।
केशव प्रसाद मौर्य का जन्म इसी बदलते राजनीतिक दौर में हुआ. इनकी माता श्रीमती धनपती देवी व पिता श्री श्याम लाल मौर्य हैं ।
केशव प्रसाद मौर्य के माता-पिता
केशव प्रसाद मौर्य के पिता श्री श्याम लाल मौर्य जी पेशे से सामान्य किसान थे, और पहले जीविकोपार्जन के लिए सिराथू नगर में चाय की दुकान चलाते थे| इनकी माता धनपती देवी जी सामान्य गृहिणी हैं| 1976 में सिराथू गांव को नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त हुआ। उससे पहले एवं 1980 के दशक तक सिराथू गांव की स्थिति अच्छी नहीं थी और जनसमुदाय बुनियादी सुविधाओं के अभाव में रहता था। इसी कारण केशव प्रसाद मौर्य के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी क्योंकि सिराथू गांव में कृषि के अतिरिक्त आय के अन्य साधन बहुत सीमित थे| सिराथू पर्यटकों के आकर्षण का भी केंद्र है, क्यूंकि सिराथू से 9 किमी की दूरी पर स्थित कड़ा कौशाम्बी जिले का सबसे पुराना शहर है, जहाँ पर देश के कोने कोने से पर्यटक कड़ा के किले को देखने जाते हैं । कड़ा गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहां तीर्थयात्री स्नान के लिए आते हैं। माता शीतला मंदिर कौशाम्बी के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है ।
सिराथू नगर....
केशव प्रसाद मौर्य के दो भाई क्रमशः सुख लाल, राजेंद्र कुमार एवं तीन बहनें क्रमशः सुनीता देवी, आशा देवी एवं कमलेश कुमारी हैं । इनके बड़े भाई सुख लाल जी आज भी सिराथू में रहकर कृषि करते हैं ।
केशव प्रसाद मौर्य का संयुक्त परिवार
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा सिराथू नगर के प्राथमिक विद्यालय में हुई । वह स्वंय को केवल कक्षा तक सीमित नहीं रखना चाहते थे बल्कि बचपन से इनके अन्दर जन सेवा का भाव निहित था । अत्यंत गरीब एवं पिछड़े परिवार से आने के बाद भी उनके विचार हमेशा समाज के बदलाव पर बल देते थे इसीलिए केशव की पारंपरिक जीवन-शैली इनके मित्रों से एकदम भिन्न थी जो केवल सिराथू गांव तक सीमित नहीं था । वह सदियों से चले आ रहे समाज के बीच ऊँच-नीच, जाति-पाति के भेदभाव को मिटाने का स्वप्न देखा करते थे ।
वह बचपन से ही बहुत बुद्धिमान, ईमानदार, सत्यनिष्ठ एवं कठोर परिश्रमी थे, इसीलिए सुबह प्राथमिक विद्यालय जाने से पूर्व एवं लौटने के पश्चात अपने पिता जी के साथ चाय की दुकान में बैठकर हाथ बटाया करते थे । इनके पिता श्री श्याम लाल जी सिराथू मंझनपुर रोड पर चाय की टपरी लगाया करते थे । उनका स्वभाव बचपन से ही परिश्रमी एवं दूसरों की मदद करने की थी । प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के दौरान ही वह अपने स्वभाव के अनुकूल जीविकोपार्जन के लिए अखबार बेचा करते थे जिससे वह अपने पिता की घर चलाने में सहायता कर सकें । वह हर सुबह सिराथू से 9 किमी साईकिल चला कर कड़ा पेपर बेचने जाते थे तत्पश्चात लौटकर अपने पिता जी के साथ चाय की दुकान में बैठकर सहायता करते थे ।
केशव प्रसाद मौर्य बचपन से ही बेहद शालीन एवं सहनशील
सिराथू नगर के जूनियर हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात केशव प्रसाद मौर्य ने माध्यमिक शिक्षा के लिए जनपद के ही ओसा के एक विद्यालय में प्रवेश किया । माध्यमिक शिक्षा के दौरान ही वह कॉलेज के लगभग सभी कार्यक्रमों में भाग लेते थे । इस दौरान भी उनके द्वारा माता-पिता के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वहन निरंतर रूप से करते रहे । इस बीच वह कभी-कभी सब्जी बेचने पिता के साथ बाजार भी जाते थे । अपने मिलनसार स्वभाव के कारण बाजार में केशव हमेशा लोगों से मिलते-जुलते रहते थे । सन 1985 में केशव का विवाह खुजा ग्राम मौजा अफजलपुरवारी सिराथू विकास खण्ड के ग़रीब किसान परिवार में हुआ था । इनकी पत्नी श्रीमती राजकुमारी देवी सामान्य गृहिणी हैं । केशव के दो पुत्र क्रमशः योगेश कुमार मौर्य एवं आशीष कुमार मौर्य हैं ।