लोक निर्माण विभाग
सड़कों का वही महत्व है जो मानव शरीर में धमनियों और नसों का है। यह वाक्य भारत के लोकप्रीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था। इस ध्येय वाक्य का प्रतिफल ही है कि आज उत्तर प्रदेश सडक विकास के मामले में देश में अव्वल दर्जा प्राप्त कर रहा है। उत्तर प्रदेश की जनता को जागरूक किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग के कार्यों को कम्प्यूटराईज्ड करने पर काम हुआ है। आज ’’चाणक्य’’ और ’’विष्वकर्मा’’ सॉफ्टवेयर से ई-रजिस्ट्रेषन, ई-बिलिंग, ई-एम.बी., बजट और प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग का कार्य किया जा रहा है। जिसने कार्यप्रणाली ही नहीं बदली बल्कि कार्यक्षमता में भी वृद्धि की है। ’थर्ड पार्टी सुरक्षा ऑडिट’ के माध्यम से पहली बार निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की जवाबदेही सुनिष्चित की गई है।
राज्य में भाजपा की सरकार बनते ही बडे स्तर पर गड्ढा मुक्ति अभियान चलाया गया और प्रथम चरण में रिकॉर्ड 85 हजार 138 किमी सडकों को गड्ढा मुक्त किया। यही नहीं गत एक वर्ष में 37 हजार किमी सडकों का नवीनीकरण कार्य भी किया गया है। षिकायतों के शीघ्र निवारण के लिए व्हॉट्सऐप एप्लीकेषन नम्बर जारी किया गया है। इसके अलावा विभाग में कॉल सेन्टर चलाया जा रहा है। इस व्यवस्था को एप्लीकेषन पर लाया जा रहा है। खराब सडकों की शिकायत दर्ज कराने के लिए ’’बाज एप्लीकेषन’’ पर काम किया जा रहा है। यह शिकायत निवारण प्रक्रिया को बहुत ही आसान बना देगा। सडकों का विकास राज्य के विकास को गति देता है। उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में त्वरिण निर्णय प्रणाली को अपनाया गया है। कार्य करने के पुराने तरीकों को हमने पीछे छोड दिया गया है। अब सडक और सेतु बनाने में नए तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। सडकों को पर्यावरण के अनुकूल बनया जा रहा है। इससे सडक निर्माण सामग्री में 20 से 30 प्रतिशत की बचत हो रही है और निर्माण लागत 20 से 25 प्रतिशत कम हो गई है। वर्ष 2017-18 में 1700.33 करोड की बचत की गई है। सडक विकास के संबंध में हमारी कर्मठता देखकर केन्द्र सरकार ने भी हमें पूरा सहयोग दिया है। वर्ष 2017-18 में केन्द्रीय मार्ग निधि योजना से राज्य को 890 करोड रूपए दिए गए है।
उत्तर प्रदेष की बोर्ड परीक्षाओं में टॉप करने मेधावी छात्र-छात्राओं को अपने गांव-समाज में सम्मान मिलता है। पहली बार लोक निर्माण विभाग ने मेधावी छात्र-छात्राओं के सम्मान के लिया योजना शुरू की है। मेधावियों के गांवों को पक्की सडक से जोडने का अभियान शुरू किया है। हमारा लक्ष्य है कि लोक निर्माण विभाग के उद्देष्यों यथा प्रदेश में सडकों, सेतुओं, रेलवे उपरिगामी/अधोगामी सेतुओं/बाईपास एवं रिंग रोड के नव निर्माण, पुनः निर्माण, उनके सुधार और रख-रखाव व अनुरक्षण तथा गांवों को पक्के मार्गों से जोडने पर कार्य किया जाएगा। प्रदेष से गुजरने वाले राष्ट्रीय मार्गों का रखरखाव, विभाग की सडकों पर अतिक्रमण को रोकने तथा निर्माण कार्यों में गुणवत्ता व समयबद्धता सुनिष्चित करने के अपने उत्तरदायित्वों का ठीक से निर्वहन किया जाए।
प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना
भारत सरकार द्वारा दिसम्बर 2000 में ग्रामीण क्षेत्रों के विकास तथा आवागमन की सुविधा को ध्यान में रखते हुये प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना प्रारम्भ की गयी। उत्तर प्रदेश में 1000 से अधिक आबादी के 39,139 तथा 500 से 999 आबादी के 41,452 मजरे है। भारत सरकार द्वारा 1000 आबादी के ऊपर के सभी ग्रामीण मजरों को वर्ष 2003 तक तथा 500 से ऊपर की आबादी के सभी मजरों को वर्ष 2007 तक पक्के मार्गों से जोड़ने का लक्ष्य प्रस्तावित थाए परन्तु सीमित संसाधनों को देखते हुये प्रथम चरण के लक्ष्य को पूरा किया जाना सम्भव नहीं हो पाया। नव सम्पर्कता के साथ-साथ मार्गों के उच्चीकरण कार्य भी प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत आच्छादित हैं। प्रदेश में इस योजना का संचालन ग्राम्य विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग 42 जनपदों में कार्यदायी है।
वर्ष 2014-15 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनान्तर्गत 991 मार्ग लम्बाई 3732 कि0मी0 को 1168 करोड़ की धनराशि में पूर्ण करते हुए 587 बसावटों को जोड़े जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 350 करोड़ ही प्राप्त हो सके हैं। प्राप्त धनराशि के अन्तर्गत माह 12/2014 तक 327 मार्ग लम्बाई 1920 कि0मी0 को पूर्ण करते हुए 241 बसावटों को जोड़ा जा चुका है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत फेज-3 से फेज-10 तक में स्वीकृतियों के सापेक्ष माह 12/2014 तक पूर्ण एवं निरस्तीकरण के पश्चात अवशेष नवसम्पर्कता / उच्चीकरण हेतु मार्गों की कुल संख्या 824, लम्बाई 2309 कि0मी0 एवं लागत 999 करोड़ है जिससे नवसम्पर्कता के अधीन 451 बसावटें लाभान्वित होनी है। पी0एम0जी0एस0वाई0-2 के अन्तर्गत 23 जनपदों में 116 मार्ग लम्बाई 937 कि0मी0 एवं लागत 602 करोड़ हेतु स्वीकृति उच्चीकरण मद में प्राप्त है। इस वित्तीय वर्ष में माह 03/2015 तक धनावंटन न हो पाने की स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए माह 12/2014 के अवशेष को ही वित्तीय वर्ष 2015-16 हेतु संम्भावित अवशेष मानते हुए फेजवार विवरण तालिका पृष्ठ-34 में दर्शाया गया है।
वर्ष 2015-16 में फेज-3 से फेज-10 के अवशेष 824 मार्ग लम्बाई 2309 कि0मी0 एवं लागत 999 करोड़ के अन्तर्गत 451 बसावटों को जोड़े जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। पी0एम0जी0एस0वाई0-2 में स्वीकृत मार्गों के अन्तर्गत 93 मार्गए लम्बाई 749 कि0मी0 एवं धनराशि 481 करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस प्रकार वर्ष 2015-16 में कुल 917 मार्ग लम्बाई 3059 कि0मी0 एवं लागत 1480 करोड़ में 451 बसावटों को पूर्ण किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
पी0एम0जी0एस0वाई0-2 में लोक निर्माण विभाग के अन्तर्गत 42 जनपदों में से 23 जनपदों में ही कार्य की स्वीकृति भारत सरकार से प्राप्त हुई है। समस्त स्वीकृत कार्य निविदा प्रक्रिया में है अवशेष 19 जनपदों में 103 मार्ग लम्बाई 848 कि0मी0 एवं लागत 527 करोड़ के प्रस्ताव का अनुमोदन भारत सरकार की इम्पावर्ड कमेटी से हो चुका हैए परन्तु विधिवत् स्वीकृति भारत सरकार से अभी तक प्राप्त नहीं हुई है।
सेतु कार्य
राज्य सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत स्वीकृत 60 मीटर से अधिक लम्बाई के दीर्घ सेतुओं का निर्माण उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम लिमिटेड द्वारा तथा 60 मीटर से कम लम्बाई के लघु सेतुओं का निर्माण लो0नि0वि0 द्वारा किया जाता है। रेल उपरिगामी सेतुओं के अतिरिक्त सभी पहुँच मार्ग लो0नि0वि0 द्वारा निर्मित किये जाते हैं।
वित्तीय वर्ष 2014-15 में सेतुध्रेलवे उपरिगामी सेतु के निर्माण हेतु विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत 1641.7501 करोड़ तथा सेतुओं के अनुरक्षण हेतु 17.00 करोड़ की बजट व्यवस्था है। वित्तीय वर्ष 2014-15 में कुल 125 सेतुओं के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है जिसके सापेक्ष माह जनवरी-2015 तक 62 सेतुओं को पहुँच मार्ग सहित पूर्ण किया गया है। पूर्ण सेतुओं में 33 दीर्घ सेतु 16 लघु सेतु एवं 13 रेल उपरिगामी सेतु है।
वित्तीय वर्ष 2015-16 में सेतु / रलवे उपरिगामी सेतुओं के निर्माण हेतु अनुदान सं0.57 के अन्तर्गत 1380.5602 करोड़ तथा अनुदान सं0. 83 (एस0सी0पी0 कम्पोनेन्ट) के अन्तर्गत 368.8992 करोड़ इस प्रकार कुल 1749.4594 करोड़ की बजट व्यवस्था तथा सेतुओं के अनुरक्षण हेतु 20.00 करोड़ की बजट व्यवस्था प्रस्तावित की गयी है। वित्तीय वर्ष 2015-16 में कुल 130 सेतुओं का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है।
जिला मुख्यालय को चार लेन मार्ग से जोड़ने की योजना
सरकार प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों को 4 लेन / 2 लेन विद पेव्ड शोल्डर मार्ग से जोड़ने के लिए कटिबद्ध है। प्रदेश को सुगम यातायात उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से समस्त जिला मुख्यालयों को 4 लेन चैड़े मार्ग से जोड़ना वर्तमान सरकार की प्राथमिकता है। प्रदेश के 30 जिला मुख्यालय (लखनऊ, रामपुर, औरैया, कानपुर, मुरादाबाद, इटावा, बाराबंकी, कानपुर देहात, फिरोजाबाद, फैजाबाद, गाजियाबाद, आगरा, बस्ती, उन्नाव, मथुरा, संतकबीरनगर, झांसी, हापुड़, गोरखपुर, उरई, मुजफ्फरनगर, सीतापुर, चन्दौली, मेरठ, शाहजहाँपुर, वाराणसी, बरेली, फतेहपुर, इलाहाबाद एवं ललितपुर) 4 लेन / 2 लेन विद पेव्ड शोल्डर मार्ग से पूर्व से ही जुड़े हुए हैं तथा 10 जिला मुख्यालय (गौतमबुद्धनगर, बुलन्दशहर, अलीगढ़, रायबरेली, सुल्तानुपर, अम्बेडकरनगर, जौनपुर, आजमगढ़, मऊ एवं गाजीपुर) भारत सरकार की स्वीकृत योजना (एनएचडीपी) के अन्तर्गत प्रस्तावित 4 लेन राष्ट्रीय राजमार्गो से जुड़ जायेंगे तथा 9 जिला मुख्यालय (कन्नौज, एटा, प्रतापगढ़, बांदा, अमेठी, हमीरपुर, हाथरस, मिर्जापुर एवं पीलीभीत) 2-लेन राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित हैं जो 2-लेन विद पेव्ड शोल्डर किए जाने हेतु भारत सरकार की स्वीकृत योजना (एनएचडीपी) एवं 02 जिला मुख्यालय (बहराइच एवं सिद्धार्थनगरद) एन0एच0 के अन्तर्गत ई0पी0सी0 मोड पर प्रस्तावित 2 लेन (विद पेव्ड शोल्डर) राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ जायेंगे। शेष 24 जनपदों की स्थिति निम्नवत है :-
10 जिला मुख्यालयों (सहारनपुर, बागपत, शामली, सोनभद्र, बलरामपुर, गोण्डा, हरदोई, महराजगंज, लखीमपुर खीरी एवं बिजनौर) को 4 लेन मार्ग से जोड़े जाने का कार्य उ0प्र0 राज्य राजमार्ग प्राधिकरण (उपशा) के अन्तर्गत प्रस्तावित / निर्माणाधीन हैं।
लो0नि0वि0 बजट द्वारा 03 जिला मुख्यालय (चित्रकूट, महोबा एवं कुशीनगर) जो राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित हैं उन्हे लो0नि0वि0 बजट से एन0एच0 द्वारा 2 लेन मार्ग (विद पेव्ड शोल्डर) से जोड़ा जाना प्रस्तावित है। 11 जिला मुख्यालयों (मैनपुरी, अमरोहा, सम्भल, श्रावस्ती, कौशाम्बी, बंदायू, फर्रूखाबाद, बलिया, कासगंज, देवरिया, एवं संतरविदासनगर) को 4 लेन मार्ग से इस प्रकार कुल 14 जिला मुख्यालयों को जोड़ने का कार्य लो0नि0वि0 के अन्तर्गत प्रस्तावित / निर्माणाधीन है।
उपरोक्त के साथ-साथ कालपी से हमीरपुर मार्ग को 04 लेन मार्ग से अतिरिक्त जोड़ने के लिये लो0नि0वि0 द्वारा अपनी योजना में सम्मिलित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत अभी तक जनपद इटावा से मैनपुरी को जोड़ने हेतु दो कार्यो की स्वीकृति कुल लागत 598.63 करोड़ जोया अमरोहा मार्ग की स्वीकृति कुल लागत 23.21 करोड़, मुरादाबाद सम्भल मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 136.33 करोड़, बहराईच भिन्गा मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 164.36 करोड़, मूरतगंज से मंझनपुर मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 74.72 करोड़, हमीरपुर कालपी मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 289.47 करोड़, बरेली बंदायू मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 244.34 करोड़, छिबरामऊ से फतेहगढ़ मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 81.82 करोड़, कुशीनगर - पडरौना मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 29.10 करोड़ एवं मऊ-बलिया मार्ग की स्वीकृति की कुल लागत 197.55 करोड़ निर्गत की गई है
वर्ष 2014-15 में इस योजनान्तर्गत अनुपूरक / पुर्नविनियोग के उपरान्त चालू कार्यों हेतु 691.50 करोड़ तथा नये कार्यों हेतु 115.50 करोड़ की बजट व्यवस्था है। वर्ष 2015-16 में इस योजना के चालू कार्यो हेतु 900.00 करोड़ तथा नये कार्यों हेतु 100.00 करोड़ की बजट व्यवस्था किया जाना प्रस्तावित है।