लोक उद्यम विभाग (डीपीई)
अपनी 52वीं रिपोर्ट में, तीसरी लोक सभा (1962-67) की प्राक्कलन समिति ने एक केन्द्रीकृत समन्वय यूनिट के गठन की जरूरत पर बल दिया जो लोक उद्यमों की निष्पादकता का निरन्तर मूल्यांकन भी कर सके। इसके फलस्वरूप, वित्त मंत्रालय में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो (बीपीई ) की वर्ष 1965 में स्थापना की गई। तदनुपरांत, सितम्बर 1985 में केन्द्र सरकार के मंत्रालयों /विभागों का पुनर्गठन होने पर, बीपीई को उद्योग मंत्रालय का हिस्सा बना दिया गया। मई 1990 में, बीपीई को एक पूर्ण विभाग बना दिया गया और अब इस विभाग का नाम 'लोक उद्यम विभाग' (डीपीई) है। वर्तमान में, यह भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय का हिस्सा है।
लोक उद्यम विभाग सभी केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसईज़) का नोडल विभाग है और सीपीएसई से संबंधित नीतियां तैयार करता है। यह विशेष रूप से, सीपीएसईज़ में निष्पादकता के सुधार एवं मूल्यांकन, स्वायत्तता तथा वित्तीय शक्तियों के प्रत्यायोजन और कार्मिक प्रबंधन के बारे में नीतिगत दिशानिर्देश तैयार करता है। इसके अलावा यह केन्द्रीय सरकारी उद्यमों से संबंधित बहुत से क्षेत्रों के संबंध में सूचना भी एकत्र करता है और उसका रखरखाव करता है।
अपनी भूमिका का निर्वहन करने के क्रम में यह विभाग अन्य मंत्रालयों, केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों तथा संबंधित संगठनों के साथ समन्वय करता है। भारत सरकार के कार्य आबंटन नियमों के अनुसार लोक उद्यम विभाग को निम्नलिखित विषयों का आबंटन किया गया है :
- औद्योगिक प्रबंधन पूल सहित तत्कालीन लोक उद्यम ब्यूरो से संबंधित शेष कार्य।
- सभी लोक उद्यमों को प्रभावित करने वाले सामान्य नीति संबंधी मामलों का समन्वय।
- समझौता ज्ञापन तंत्र सहित केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों के कार्य निष्पादन का मूल्यांकन एवं निगरानी।
- लोक उद्यमों के लिए स्थायी मध्यस्थता तंत्र से संबंधित मामले।
- स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के अंतर्गत केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों में कर्मचारियों को परामर्श, प्रशिक्षण एवं पुनर्वास।
- केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों में पूंजीगत परियोजनाओं एवं व्यय की समीक्षा।
- केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों के कार्य-निष्पादन में सुधार लाने तथा अन्य लोक उद्यमों की क्षमता निर्माण पहलों के लक्ष्यगत उपाय।
- लोक उद्यमों के पुनरुद्धार, पुनर्गठन या बन्द करने तथा उनके लिए तंत्र से संबंधित सलाह देना।
- लोक उद्यमों के स्थायी सम्मेलन से संबंधित मामले।
- इन्टरनेशनल सेन्टर फार पब्लिक इन्टरप्राइजेज़ से संबंधित मामले।
- 'रत्न' दर्जा देने सहित केन्द्रीय सरकारी लोक उद्यमों का वर्गीकरण।
लोक उद्यम विभाग के प्रमुख भारत सरकार के सचिव होते हैं जिनकी सहायता के लिए 122 अधिकारियों/कर्मचारियों की समग्र स्वीकृत स्थापना तंत्र है।