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गांवों के समग्र विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता

विकसित भारत के निर्माण के लिए ग्रामीण क्षेत्र का समग्र व चहुंमुखी विकास अत्यंत आवश्यक है। प्रदेश सरकार इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रही है, जिसका उदाहरण है वर्ष 2024-25 में मनरेगा के अंतर्गत 33.64 करोड़ मानव दिवस सृजन, जो कि देश में सर्वाधिक है। प्रदेश ने 26 करोड़ के निर्धारित लक्ष्य को पार करते हुए प्रथम स्थान प्राप्त किया है।

7-कालिदास मार्ग स्थित अपने कैम्प कार्यालय पर ग्राम्य विकास विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देशित किया कि गांवों के विकास के लिए संचालित योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। तथा गांवों का बहुमुखी विकास सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और गांव-गरीब के लिए चलाई जा रही योजनाएं धरातल पर स्पष्ट रूप से दिखनी चाहिए।

🌾 महत्वपूर्ण निर्देश एवं उपलब्धियां
महिला सहभागिता मनरेगा में 42% रही है, जो महिला सशक्तिकरण का संकेत है।

6.22 लाख परिवारों को 100 दिवस का रोजगार उपलब्ध कराया गया है – देश में सर्वाधिक।

महिला श्रमिकों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने का कार्य तेज किया जाए।

BOCW बोर्ड में 100 दिन कार्य करने वाले श्रमिकों का पंजीयन स्वतः हो, ऐसी व्यवस्था बने।

अमृत सरोवर जल से लबालब भरे हों – इसका नियमित निरीक्षण हो।

गांवों की गलियों, नालियों, जल निकासी के कार्य मनरेगा से कराए जाएं।

तकनीक और जनजागरूकता के माध्यम से गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत सर्वे में कोई पात्र व्यक्ति छूटे नहीं।

राज्य ग्राम्य विकास संस्थान की क्षमता के अनुरूप प्रशिक्षण की योजना बनाकर लागू की जाए।

 सरकार गांवों को गरीबी मुक्त करने और हर व्यक्ति को आजीविका से जोड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने सोशल ऑडिट की प्रक्रिया में तेजी लाने और मनरेगा कन्वर्जेंस कार्यों का रैंडम परीक्षण कराने के निर्देश भी दिए।

बैठक में राज्य मंत्री ग्राम्य विकास श्रीमती विजय लक्ष्मी गौतम, अपर मुख्य सचिव श्री हिमांशु कुमार सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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