हमारे आदर्श सामाजिक एवं राजनीतिक चेतना के जननायक

1910-1997
हम सब यही सोचते है की हमारे किये गये कार्य तो समुद्र में एक बूंद के बराबर होते है लेकिन ध्यान रखने वाली ये भी बात है की उस बूंद के बिना सागर का पानी तो कम ही होगा ।
मदर टेरेसा

1931-2015
सजीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखो को कठिनाईओ से प्राप्त किया जाता है।
अब्दुल कलाम

1824-1883
(आर्य समाज) दुनिया को अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिये और आपके पास सर्वश्रेष्ठ लौटकर आएगा।
स्वामी दयानन्द सरस्वती

1827-1890
विद्या बिन मति गयी, मति बिना नीति गयी, नीति बिना गति गयी, गति बिना वित गया।
महात्मा ज्योतिबा फुले

1828-1858
चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लडी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी ।
झांसी की रानी लक्ष्मी बाई

1831-1897
जाओ जाकर पढ़ो-लिखो बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो ज्ञान के बिना सब खो जाता है ।
सावित्रीबाई फुले

1861-1941
हम ये प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर खतरे न आयें बल्कि ये करें कि हम उनका सामना करने में निडर रहे ।
रविन्द्र नाथ टैगोर

1861-1948
हमें स्वच्छता और सफाई का मूल्य पता होना चाहिए... गंदगी को हमें अपने बीच से हटाना होगा... क्या स्वच्छता स्वयं ईनाम नहीं है ।
महात्मा गांधी

1863-1902
किसी भी कार्य को करने के लिए तुरन्त उठो, जागो और तब तक नही रुकना जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए ।
स्वामी विवेकानन्द

1875-1950
हमारे देश की मिट्टी में कुछ अनूठा है तभी तो कठिन बाधाओं के बावजूद हमेंशा महान आत्माओ का निवास स्थान रहा है ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल

1891-1956
समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा ।
डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर

1896-1995
किसी भी समय जीवन मुश्किल बन सकता है और किसी भी समय जीवन बहुत आसान बन सकता है। यह सब हमारे जीवन के समायोजन पर निर्भर करता है ।
मोरारजी देसाई

1897-1945
हमारी राह भले ही भयानक और पथरीली हो हमारी यात्रा चाहे कितनी भी कष्टदायक हो फिर भी हमें आगे बढ़ना ही है। सफलता का दिन दूर हो सकता हैए पर उसका आना अनिवार्य है।
सुभाष चन्द्र बोस

1906-1931
आप हर दिन दूसरों को अपने रिकाॅर्ड तोडने की प्रतीक्षा मत करो बल्कि खुद उसे तोडने का प्रयत्न करो, क्योंकि सफलता के लिए आपकी खुद से लडाई है ।
चन्द्रषेखर आजाद

1907-1931
जो व्यक्ति भी विकास के लिए खड़ा है उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमे अविश्वास करना होगा तथा उसे चुनोती देनी होगी ।